दिल्ली से बनारस मात्र 1.5 घण्टे में!
जापान में एक ट्रेन ने 603 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौडकर सारे पुराने रिकार्ड तोड दिए हैं। आप सोच सकते हैं कि अगर ऎसी ट्रेन भारत में आई, तो डेढ घंटे में आप दिल्ली से बनारस पहुंच सकते हैं। मगर फिलहाल तो यह दूर की कौडी नजर आती है।
अगर जापान की बात करें, तो विद्युत चुंबक के सहारे चलने वाली ट्रेन का टेस्ट रन माउंट फिजी के पास किया जा रहा था। इसी टेस्ट के दौरान रेलगाडी ने पिछले हफ्ते 590 किलोमीटर की रफ्तार से दौड लगाई थी। अगर यह ट्रेन टोक्यो और मध्य जापान में बसे शहर नागोया के बीच शुरू की जाती है तो 280 किलोमीटर की दूरी 40 मिनट में तय की जा सकेगी।
फिलहाल यह दूरी तय करने में इससे दोगना वक्त लगता है। जापान सेंट्रल रेलवे इस सेवा को साल 2027 तक शुरू करना चाहती है। लेकिन कंपनी के मुताबिक, यह सेवा अधिकतम 505 किलोमीटर की स्पीड से ही चलेगी। समाचार ऎजेंसी एएफ़पी के मुताबिक टोक्यो से नागोया तक मलभूत ढांचा तैयार करने में 100 अरब डॉलर का खर्च आएगा।
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जापान में एक ट्रेन ने 603 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से दौडकर सारे पुराने रिकार्ड तोड दिए हैं। आप सोच सकते हैं कि अगर ऎसी ट्रेन भारत में आई, तो डेढ घंटे में आप दिल्ली से बनारस पहुंच सकते हैं। मगर फिलहाल तो यह दूर की कौडी नजर आती है।
अगर जापान की बात करें, तो विद्युत चुंबक के सहारे चलने वाली ट्रेन का टेस्ट रन माउंट फिजी के पास किया जा रहा था। इसी टेस्ट के दौरान रेलगाडी ने पिछले हफ्ते 590 किलोमीटर की रफ्तार से दौड लगाई थी। अगर यह ट्रेन टोक्यो और मध्य जापान में बसे शहर नागोया के बीच शुरू की जाती है तो 280 किलोमीटर की दूरी 40 मिनट में तय की जा सकेगी।
फिलहाल यह दूरी तय करने में इससे दोगना वक्त लगता है। जापान सेंट्रल रेलवे इस सेवा को साल 2027 तक शुरू करना चाहती है। लेकिन कंपनी के मुताबिक, यह सेवा अधिकतम 505 किलोमीटर की स्पीड से ही चलेगी। समाचार ऎजेंसी एएफ़पी के मुताबिक टोक्यो से नागोया तक मलभूत ढांचा तैयार करने में 100 अरब डॉलर का खर्च आएगा।
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